विक्रमी संवत 2080 का अंतिम सूर्य हैं । 08 अप्रैल 2024 को अन्तिम खग्रास सूर्य ग्रहण दिखाई देगा ।
विक्रम संवत 2080 चंद्र मास वैशाख तिथि कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि सोमवार भारतीय मानक समय रात्रि 21: 12 बजे सूर्य ग्रहण प्रारंभ होगा और मध्यरात्रि 02 :23 बजे तक रहेगा। मकर लग्न की कुण्डली बन रही है। सूर्य, चंद्र, राहु और मंगल मीन राशि का स्वामी गुरु है। सूर्य, चंद्र, राहु तीनों रेवती नक्षत्र में स्थित हैं। और मंगल शतभिषा नक्षत्र में स्थित है।
सूर्य, चंद्र, राहु तीनों रेवती नक्षत्र में स्थित हैं। शनि और मंगल कुम्भ राशि में स्थित है।। शनि देव जी की दृष्टि कुम्भ राशि में स्थित गुरु और बुध के ऊपर है। राजनीति की दृष्टि से यह समय ठीक नहीं है। इससे कुछ राज्यों में साम्प्रदायिक दंगे और उग्रवाद की घटित होने की आशंका है। देश की सीमाओं पर अशांति रहेगी। खग्रास सूर्य ग्रहण की अवधि छः घंटे है। इस ग्रहण का उत्तर और दक्षिण अमेरिका , पश्चिम यूरोप ,पेसिफ़िक , अटलांटिक सागर में दिखाए देगा | सूर्य ग्रहण यूएस , कैनेडा , फ्रेंच , क्रिसमस , आइजलैंड , कुक , गोटेमाला ,क्यूबा , बरमूडा , पुर्तगाल में आकृति दिखाई देगा। यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। कभी-कभी सूर्य ग्रहण का प्रभाव पांच घंटे, पांच दिन, पांच महीने और पांच साल में दिखाई देता है। जिस देश में सूर्य ग्रहण दिखाई दे रहा है, उस देश के राजा पर यह दृष्टिगोचर होगा।
सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में इस तरह से आ जाता है कि वह सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने से रोक सकता है। यह तभी हो सकता है जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के केंद्र लगभग एक सीधी रेखा में हों। उस समय सूर्य और चंद्रमा के देशांतर एक समान होते हैं। जैसा कि चंद्र ग्रहण में पहले ही बताया जा चुका है कि पृथ्वी और सूर्य हमेशा अण्डाकार पर रहते हैं, जबकि चंद्रमा का रोहित 5° के कोण पर लगभग अण्डाकार होगा। इसलिए चंद्रमा हमेशा अण्डाकार पर नहीं होता है। यह ग्रहण पर होता है जब यह राहु और केतु के साथ मेल खाता है जो चंद्रमा के नोड हैं।