हमारे सौर मंडल में सूर्य एक ग्रह की जिस के इर्द गिर्द सभी ग्रह और तारे घूमते हैं।सूर्य का गुरुतवाकर्षण होता है।पृथ्वी उसके इर्द गिर्द चक्कर काटती है।चन्द्र भी पृथ्वी इर्द गिर्द घूमता है।चन्द्रमा जब आकाश में घूमते हुए पृथ्वी की छाया वाले मार्ग से गुजरता है,तब चन्द्र ग्रहण होता है।ऐसा तभी होता हैकि जब सूर्य,चन्द्र और पृथ्वी तीनो एक सीधी रेखा में आ जाते है।चन्द्रमा की कक्षा क्रांति तल पर लगभग 5° का कोण बनाती हैं।
इस विक्रम संवत 2081 में भूमण्डल पर चार ग्रहण घटित होने जा रहे हैं।यह ग्रहण निम्नलिखित है:-
1. दो चन्द्र ग्रहण 2. दो सूर्य ग्रहण होंगे।
1.प्रथम खग्रास चन्द्र ग्रहण ( 18 -9- 2024)
2.कँकणाकृति सूर्य ग्रहण (2/ 3 -10-2024)
3. खण्डग्रास चन्द्र ग्रहण (14-3- 2025)
4.खग्रास सूर्य ग्रहण ( 29 -3-2025)
खग्रास चन्द्र ग्रहण ( 14 मार्च 2025 ) यह खग्रास चन्द्र ग्रहण फाल्गुन मास पूर्णिमा, शुक्रवार के दिन प्रातः: 10 बजकर 40 मिनट से दोपहर दो बजकर 18 मिनट तक रहेगा l
चन्द्र ग्रहण का प्रारम्भ समय = 10 बजकर 40 मिनट
खग्रास चन्द्र ग्रहण =11 बजकर 56 मिनट
परम ग्रास =. 12 बजकर 29 मिनट
खग्रास ग्रहण समाप्ति समय = 13 बजकर 01 मिनट
ग्रहण समाप्त समय = 14 बजकर 18 मिनट
कुल समय = 1 घंटा - 05 मिनट
लाल रंग चन्द्र ग्रहण जो कि राजा और मंत्री को समस्या होगी l बीमारी का समावेश होगा l मानसिक रूप से ग्रसित होने से खुदकुसी होने की संभावना है हृदय रोग, कोई पुरानी बीमारी दुबारा से हो सकती हैं l वायु और जल की संभावना है l
भारतवर्ष में खग्रास चन्द्र ग्रहण दिखाई नहीं देगा l
यह चन्द्र ग्रहण यूरोप, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका, प्रशान्त एटलांटिक, आर्कटिक महासागर, पूर्वी एशिया और अंटार्टिका में देखा जा सकता हैं l मुख्य रूप शहरों में शिकागो, न्यूयॉर्क, मांट्रियल, लॉस एंजिल्स, वाशिंगटन, मेक्सिको, चिली और ब्राज़ील में दिखाई देगा l
यूरोप के मुख्य शहरों में दिखाई देगा ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन चन्द्रास्त के समय दिखाई देगा l
आस्ट्रेलिया के मुख्य शहरों में मेलबर्न, सिडनी, पूर्वी एशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, फिजी में जा सकता हैं l
चन्द्र ग्रहण का कुल समय एक घंटा 05 मिनट तक चल परम ग्रास 12 बजकर 29 मिनट पर है और ग्रहण का समापन दोपहर दो बजकर 18 मिनट तक है l
यह ग्रहण सूर्य और शनि कुम्भ राशि में स्थित हैं और चंद्रमा सिंह राशि में स्थित हैं l राहु, वक्री शुक्र और बुध मीन राशि में स्थित हैं l मंगल मिथुन राशि में स्थित हैं और बृहस्पति वृष राशि में गोचर कर रहे हैं l दो ग्रह उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में स्थित और तीन ग्रह पूर्वभाद्रपद नक्षत्र में स्थित हैं l शनि की राशि में सूर्य और शनि स्थित हैं l प्राचीन ऋषियों के मतानुसार पूर्वभाद्रपद नक्षत्र को शय्या के अगले पांव और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के पिछले पाँव माना जाता हैं l पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र की प्रतीक तलवार काम, अंहकार, सत्ता और धन का नाश माना जाता हैं l पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अज एक-पाद है जो कि एक पैर बकरा हैं और अन्तिम अवस्था को प्रलयकारी शिव, रौद्र रूप से तांडव नृत्य करते हैं l क्रूर, पिचाश को दर्शाता हैं l विश्व युद्ध होने वाली हैं l
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