Sunday, February 28, 2021

26 मई 2021 को विक्रम संवत 2078 का पहला चन्द्र ग्रहण

हमारे सौर मंडल में सूर्य एक ग्रह की जिस के इर्द गिर्द सभी ग्रह और तारे घूमते हैं।सूर्य का गुरुतवाकर्षण होता है।पृथ्वी उसके इर्द गिर्द चक्कर काटती है।चन्द्र भी पृथ्वी इर्द गिर्द घूमता है।चन्द्रमा जब आकाश में घूमते हुए पृथ्वी की छाया वाले मार्ग से गुजरता है,तब चन्द्र ग्रहण होता है।ऐसा तभी होता हैकि जब सूर्य,चन्द्र और पृथ्वी तीनो एक सीधी रेखा में आ जाते है।चन्द्रमा की कक्षा क्रांति तल पर लगभग 5° का कोण बनाती हैं।

इस विक्रम संवत 2078 में भूमण्डल पर चार ग्रहण घटित होने जा रहे हैं।यह ग्रहण निम्नलिखित है:-   

 1. दो चन्द्र ग्रहण 2. दो सूर्य ग्रहण होंगे। 

   1.प्रथम खग्रास चन्द्र ग्रहण ( 26 मई 2021)    

  2.कँकणाकृति सूर्य ग्रहण (10 जून 2021) 

 3. खण्डग्रास चन्द्र ग्रहण (19 नवम्बर 2021) 

 4.खग्रास सूर्य ग्रहण ( 4 दिसंबर 2021)

 26 मई 2021 को  विक्रम संवत 2078 का पहला चन्द्र ग्रहण  वैशाख शुक्ल पक्ष पूर्णिंमा ,दिन बुधवार चन्द्र अनुराधा नक्षत्र तथा वृश्चिक राशि  में यह ग्रहण घटित होगा | यह खग्रास चन्द्र भारतवर्ष के पूर्वी भारत , आसाम की ओर ग्रहण उदित दिखाई देगा | भारतवर्ष के अतिरिक्ति जापान ,इंडोनेशिया, बाँग्लादेश , सिंगापुर, फिलिपिन्ज और दक्षिण कोरिया , बर्मा , दक्षिण अमेरिका तथा प्रशांत महासागर , हिन्दमहासागर में दिखाई देगा | 


                             



         मई 26.2021 को 16:35 पर जहां  चन्द्र ग्रहण शुरू हो जाएगा। सूर्य और चंद्रमा का अंतर 5 ° और चंद्र ग्रहण प्रारम्भ  होगा। चन्द्रमा 11:11 पर वृश्चिक राशि में केतु 16:34  के साथ स्थित हैं और सूर्य से 11:16 में है।  वृषभ राशि में राहु 16:34, शुक्र चंद्र ग्रहण परम बिंदु 16:43 होगा।ग्रहण की संपूर्ण समय 18 बजकर 22 मिनट होगा। खग्रास चन्द्र ग्रहण की समय अवधि 3 घण्टे 7 मिनट  और खग्रास समय 14 मिनट 30 सेकंड्स हैं।ग्रहण का ग्रासमान 1,0095 होगा।चन्द्र ग्रहण का बिम्ब पूर्वी भारत सीमाक्षेत्रों के होगा। भारतवर्ष के इलावा यह ग्रहण पूर्व एशिया,आस्ट्रेलिया, पैसिफिक सागर, और अमेरिका में दिखाई देगा।


                                    


                               सूर्य -राहु -शुक्र और चन्द्र -केतु का समसप्तक योग और शनि-मंगल का षडष्टक योग बना हुआ है।ग्रहों की स्थिति प्रधान नेताओं के कठिनाईयों को लेकर आ रही हैं।कही पश्चिमीदेशों में भंयकर प्राकृतिक आपदाओं से हानि ,देश में युद्ध स्थिति वातावरण का निर्माण आशान्ति होगी। अनुराधा एवं ज्येष्ठा नक्षत्र ,वृश्चिक एवं वृषभ राजनेताओं,राज्यों को विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।


                           चन्द्र ग्रहण से पड़ने वाले दुष्प्रभाव शीध्र ही अपना प्रभाव दिखाते है।जितने घण्टे तक चन्द्र ग्रहण सक्रिय रहता हैउतने महीनो तक  समय  इसके दुष्प्रभाव भी सक्रिय रहते  है। ग्रहण का अशुभ प्रभाव उन देशों में अधिक सक्रिय होता हैं जिन देशों में यह दृष्ट होता हैं। यह ग्रहण इस समय स्थिर राशियों में घटित हो रहा है इसका प्रभाव लम्बे समय तक रहेगा। 10 जून 2021 को सूर्य ग्रहण है।चन्द्र ग्रहण शुक्ल पक्ष में ,सूर्य ग्रहण कृष्ण पक्ष घटित होगा। सेना का विद्रोह,और राजा का नाश होता हैं।यह ग्रहण स्थिर राशि और जल तत्व में घटित होगा ।देश में चक्रवात, और राज्यों सीमाओँ पर विवाद होगा। वृश्चिक राशि मे होने से उदुम्बर,मद्र और चौल देश निवासियों ,वृक्ष, अच्छे योद्धा और विष देने का नाश होता हैं।



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